मनचाहा फल पाने के लिए किया जाता है विनायक चतुर्थी का व्रत

हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। जो कि हर महीने में कृष्णपक्ष के बाद चौथे दिन आती है। इस बार ये 28 मार्च शनिवार को है। विनायकी चतुर्थी के दिन श्रद्वालू अपने बुरे समय व जीवन की कठिनाईओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इनमें चैत्र माह की चतुर्थी तिथि खास मानी जाती है। इसे सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत करते हैं। शाम को गणेशजी के वरद विनायक रुप की पूजा करने के बाद व्रत खोला जाता है।


हर महीने पड़ती है दो चतुर्थी
हिन्दू पंचांग में हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। एक साल में लगभग 12 या 13 विनायकी चतुर्थी होती है। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में विनायकी चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है।


पूजा विधि
श्रद्धालू इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं। शाम के समय गणेशजी की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है। चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है। तथा इसके बाद ही विनायकी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।


विनायकी चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है।